तिरुपति लड्डू में कैसे पहुंचा गोमांस, सुअर की चर्बी? अंग्रेजों ने भी चर्बी वाले कारतूस से की थी सनातन धर्म को भ्रष्ट करने की कोशिश

नई दिल्ली: विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी के मंदिर में लड्डू बनाने में गोमांस, मछली का तेल और पशुओं की चर्बी के इस्तेमाल की बात सामने आने पर सनसनी मच गई है। सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने यह दावा कि

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नई दिल्ली: विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी के मंदिर में लड्डू बनाने में गोमांस, मछली का तेल और पशुओं की चर्बी के इस्तेमाल की बात सामने आने पर सनसनी मच गई है। सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने यह दावा किया था। उनकी पार्टी ने कहा है कि गुजरात स्थित पशुधन प्रयोगशाला में इस मिलावट की पुष्टि की गई है। नायडू ने आरोप लगाया था कि पिछली वाईएसआरसीपी सरकार ने पवित्र मिठाई तिरुपति लड्डू बनाने में घटिया सामग्री और पशु चर्बी का इस्तेमाल किया था।
टीडीपी ने आरोप लगाया है कि जब आंध्र प्रदेश में YSR कांग्रेस पार्टी की सरकार थी तो उस वक्त मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी थे। तब इस समिति ने मंदिर के प्रसाद के लड्डुओं में खराब और मिलावटी घी का इस्तेमाल किया। हालांकि, वाईएसआरसीपी ने इससे इनकार किया है। वहीं, उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण ने इस मामले में जांच कराने का भरोसा देते हुए नेशनल लेवल पर एक सनातन धर्म रक्षा बोर्ड बनाए जाने की वकालत की है। आइए-जानते हैं पूरा मामला, रिपोर्ट में क्या है और तिरुपति मंदिर कितना दौलतमंद है। इसका अंग्रेजी राज से कनेक्शन भी समझते हैं।

क्या है बीफ टैलो और लार्ड, जिस पर हो रहा बड़ा विवाद

लड्डू में गोमांस के कथित इस्तेमाल को लेकर यह विवाद हो रहा है। इसमें गोमांस, दुम, पसलियों से हासिल फैट से घी बनाए जाने की बात सामने आई है, जिससे लड्डू तैयार किए जाते हैं। लैब रिपोर्ट में इनसे बने घी में मछली के तेल और पशुओं की चर्बी के भी इस्तेमाल किए जाने की बात कही गई है। इन चीजों से बने घी को ठंडा किए जाने पर नरम मक्खन जैसा हो जाता है।
lab report


गाय बीमार हो या कुपोषित हो तो भी आ सकते हैं ऐसे रिजल्ट्स

टीडीपी प्रवक्ता अनम वेंकट रमण रेड्डी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कथित प्रयोगशाला रिपोर्ट दिखाई, जिसमें दिए गए घी के नमूने में गोमांस की चर्बी की मौजूदगी की पुष्टि की गई थी। इस रिपोर्ट में लार्ड यानी सुअर की चर्बी और मछली के तेल की मौजूदगी का भी दावा किया गया है। नमूने लेने की तारीख नौ जुलाई, 2024 थी और प्रयोगशाला रिपोर्ट 16 जुलाई की थी। इस रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि अगर गाय बीमार हो, अगर गाय को वेजिटेबल ऑयल्स और पाम ऑयल दिया गया हो या कुछ केमिकल्स दिए गए हों या गाय कुपोषित हो, तब भी ऐसी स्थिति में फाल्स पॉजिटिव रिजल्ट्स आ सकते हैं और इनके कारण गाय के घी में जानवरों की चर्बी और उनके फैट के अंश पहुंच सकते हैं।

lab report


आंध्र सरकार करती है वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की देखरेख

आंध्र प्रदेश सरकार या तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी), जो प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का प्रबंधन करता है, की ओर से हालांकि प्रयोगशाला रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई। जिस लैब में यह जांच की गई है, वह सीएएलएफ (पशुधन एवं खाद्य विश्लेषण एवं अध्ययन केंद्र) गुजरात के आनंद में स्थित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की एक प्रयोगशाला है।


बड़ा सवाल? ब्लैकलिस्टेड कॉन्ट्रैक्टर से क्यों खरीदा जा रहा था घी

बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि ब्लैकलिस्टेड कॉन्ट्रैक्टर से घी क्यों मंगवाए जा रहे थे। टीटीडी के सूत्रों ने कहा कि जहां गाय का घी ब्लैकलिस्टेड ठेकेदार से 320 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से खरीदा जाता था। अब तिरुपति ट्रस्ट कर्नाटक महासंघ से 475 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से घी खरीद रहा है।



तिरुपति भगवान कुल 13 हजार किलो सोने के मालिक

तिरुपति देवस्थानम के एक रिकॉर्ड के अनुसार, भगवान बालाजी के नाम पर कई बैंकों में 11,225 किलो सोना रखा गया है, जो उन्हें श्रद्धालुओं से चढ़ावे में मिला है। इसके अलावा मंदिर में सभी देवों पर सोने की आभूषण चढ़ाए गए हैं, जिनका वजन 1088.2 किलो है। वहीं, चांदी के गहनों का कुल वजन 9071.85 किलो है। भगवान बालाजी के पास 6,000 एकड़ की जंगल भूमि है।
75 जगहों पर 7,636 एकड़ की अचल संपत्ति है। यही नहीं, उनके पास 1,226 एकड़ की खेतिहर भूमि है और 6409 एकड़ गैर कृषि जमीन है। तिरुपति से जुड़े देशभर में 535 संपत्तियां और 71 मंदिर हैं, जिनमें से 159 को लीज पर दिया गया है। इनसे सालाना 4 करोड़ की इनकम होती है। इतनी ही कमाई उसे मंडपम को लीज पर देने से होती है। श्रद्धालुओं से हर साल 1,021 करोड़ रुपए चंदे के रूप में मिलते हैं।
tirupati laddu controversy


मंदिर की सालाना कमाई कोहली और तेंदुलकर से ज्यादा

2022 के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि तिरुमाला में भगवान बालाजी की हुंडी की सालाना इनकम 1,400 करोड़ रुपए है। वहीं, यह कमाई सचिन तेंदुलकर की सालाना इनकम 1,300 करोड़ रुपए और विराट कोहली की सालाना इनकम करीब 1,000 करोड़ रुपए से ज्यादा है।

310 साल हो चुकी है तिरुपति लड्डू की उम्र

हर एक का पसंदीदा तिरुपति लड्डू की उम्र 310 साल की हो चुकी है। तिरुपति का लड्डू GI टैग भी प्राप्त कर चुका है। यह लड्डू दुनिया के सबसे अमीर भगवान वेंकटेश्वर का प्रसाद है। इसे श्री वारी लड्डू के नाम से भी जाना जाता है। तिरुपति लड्डू को बनाने के लिए आटा, तेल, चीनी, घी, सूखे मेवे और इलायची जैसी सामग्री इस्तेमाल की जाती है।
tirupati temple


लड्डुओं से सालाना 500 करोड़ की कमाई, रोज 3 लाख बंटते हैं

टीटीडी तिरुमाला में हर दिन लगभग 3 लाख लड्डू तैयार करता है और श्रद्धालुओं को बांटता है। अकेले लड्डू की बिक्री से ट्रस्ट को हर साल करीब 500 करोड़ रुपए की कमाई होती है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम लड्डू पोटू में एक दिन में औसतन 3 लाख लड्डू तैयार करता है। मौजूदा वक्त में पोटू की क्षमता प्रतिदिन 8 लाख लड्डू बनाने की है।

620 रसोइए मिलकर बनाते हैं तीन लाख लड्डू

लडडू पोटू में लडडू बनाने के लिए करीब 620 रसोइए काम करते हैं। इन्हें पोटू कर्मीकुलु कहा जाता है। लगभग 150 पोटू श्रमिक नियमित कर्मचारी हैं, जबकि 350 से अधिक अनुबंध के आधार पर काम करते हैं। उनमें से 247 मुख्य रसोइए हैं।

प्रोक्तम, अस्थानम और कल्याणोत्सवम लड्डू बनते हैं

पोटू में तीन तरह के प्रोक्तम, अस्थानम और कल्याणोत्सवम लड्डू बनाए जाते हैं। प्रोक्तम लड्डू मंदिर में आने वाले सभी आम तीर्थयात्रियों को नियमित रूप से बांटा जाता है। यह आकार में छोटा है और इसका वजन 60-75 ग्राम है। ये लड्डू बड़ी संख्या में तैयार किये जाते हैं। वहीं, अस्थानम लड्डू केवल विशेष उत्सव पर ही बनाया जाता है। यह आकार में बड़ा है और इसका वजन 750 ग्राम है। इसे अधिक काजू, बादाम और केसर से तैयार किया जाता है। वहीं, कल्याणोत्सवम लड्डू कुछ खास पर्व पर हिस्सा लेने वाले श्रद्धालुओं को ही बांटा जाता है। आमतौर पर इन लड्डुओं की शेल्फ लाइफ लगभग 15 दिनों की है।

दित्तम यानी इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री की सूची

तिरुपति लड्डू बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री और उसके अनुपात की सूची को दित्तम कहा जाता है। लड्डुओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दित्तम के इतिहास में छह बार बदलाव किए गए। फिलहाल सामग्री में बेसन, काजू, इलायची, घी, चीनी, मिश्री और किशमिश का इस्तेमाल होता है। हर दिन लगभग 10 टन बेसन, 10 टन चीनी, 700 किलो काजू, 150 किलो इलायची, 300 से 500 लीटर घी, 500 किलो मिश्री और 540 किलो किशमिश से ये लड्डू बनाए जाते हैं। टीटीडी सालाना टेंडर जारी करके इन्हें खरीदता है।

गाय की चर्बी लगे कारतूसों से भड़का पहला स्वतंत्रता संग्राम

जनवरी, 1857 ई. से ब्रिटिश सेना में ‘नई एनफील्ड राइफल’ का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इसमें गाय और सूअर की चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग होता था। भारतीय सैनिकों को इन कारतूसों का इस्तेमाल करने से पहले मुंह से काटना पड़ता था। माना जाता है कि यह भारत की हिंदू-मुस्लिम जनता के बीच बांटों और राज करो की नीति का प्रयोग था। 29 मार्च, 1857 को तत्कालीन कलकत्ता के 34-नेटिव इन्फैंट्री बैरकपुर के सैनिक मंगल पांडे के नेतृत्व में कुछ सैनिकों ने बगावत करते हुए इन कारतूसों के इस्तेमाल से मना कर दिया। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ पहली गोली चला दी।

मंगल पांडे ने जब कहा-धर्म की खातिर क्यों नहीं उठ खड़े होते हो

चर्चित इतिहासकार रुद्रांशु मुखर्जी की किताब 'डेटलाइन 1857 रिवोल्ट अगेंस्ट द राज' के अनुसार, उस समय मंगल पांडे ने अपनी रेजिमेंट का कोट तो पहन रखा था लेकिन पतलून की जगह उन्होंने धोती पहनी हुई थी। वो नंगे पैर थे और उनके पास एक भरी हुई बंदूक थी। उन्होंने चिल्ला कर सैनिकों से कहा, फिरंगी यहा पर हैं। तुम तैयार क्यों नहीं हो रहे हो? इन गोलियों को काटने भर से हम धर्मभृष्ट हो जाएंगे। धर्म की खातिर उठ खड़े हो। तुमने मुझे ये सब करने के लिए उकसा तो दिया लेकिन अब तुम मेरा साथ नहीं दे रहे हो।
मंगल पांडे को इन कारतूसों के बारे में पहले ही भनक लग गई थी। बैरकपुर छावनी के परेड ग्राउंड पर लेफ्टिनेंट बीएच बो पहुंचे तो मंगल पांडे ने उनके घोड़े के पैर पर गोली मार दी। आखिरकार छोटी सी झड़प के बाद मंगल पांडे को गिरफ्तार कर लिया गया और 8 अप्रैल को सरेआम उन्हें फांसी दे दी गई।


अमेरिकी खजाने से तीन गुना सोना भारत के मंदिरों में

भारत में मंदिरों के खजाने में इतना सोना है कि वो अमेरिकी सरकार के खजाने से भी तीन गुना ज्यादा है। मंदिरों में भगवान को सोना इतना पसंद है कि पद्मनाभ स्वामी मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर जैसे मंदिरों में 4000 टन सोना रखा है। यह आंकड़ा वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का है। भारत का गोल्ड रिजर्व भले ही 800 टन से ज्यादा हो, मगर हम भारतीयों को भी सोना इतना भाता है कि 25 हजार टन से ज्यादा सोना हम सहेजकर रखे हुए हैं। यह दुनिया में सबसे ज्यादा गोल्ड रिजर्व रखने वाले अमेरिका के 8,965 टन का करीब तीन गुना है।

भारत में तीर्थाटन पर 4.74 लाख करोड़ खर्च

भारत में मंदिरों में भगवान का दर्शन करने का चलन परंपरा और आध्यात्मिकता से इतना जुड़ा है कि हर साल 4.74 लाख करोड़ रुपए तो सिर्फ तीर्थाटन या धार्मिक यात्राओं पर ही लोग खर्च कर देते हैं। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के आंकड़ों के अनुसार, भारत की टेंपल इकोनॉमी करीब 3.02 लाख करोड़ रुपए की हो चुकी है, जो देश की कुल विकास दी यानी GDP का 2.32 फीसदी है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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